उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव डॉक्टर जनक कुशवाहा ने भारतीय जनता पार्टी के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम "हर घर तिरंगा" का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुत स्वागत योग्य है क्योंकि भारत का हर नागरिक भारत से प्यार करता है और भारतीय होने के नाते अपने घर पर तिरंगा लगाना चाहिए।
परंतु इसमें जिस तरह से खादी की उपेक्षा की जा रही है, उस पर सवाल होना लाजमी है। सरकार ने प्लास्टिक के झंडे को भी परमिशन दे दी है जबकि तिरंगा खादी के कपड़ों पर ही अंगीकार किया गया था। विभिन्न संस्थाओं में जहां खादी के द्वारा झंडे बनाने का काम किया जाता है, निश्चित रूप से वहां काम करने वाले कर्मचारी महिला एवं पुरुष के रोजगार पर संकट उत्पन्न होगा क्योंकि प्लास्टिक के झंडे सस्ते दामों में बड़ी-बड़ी कंपनियां बेचेगी और उन्हें मुनाफा होगा। उस समय खादी से बने झंडों को मार्केट में खरीदने वाले बहुत कम लोग होंगे। जिसके तहत खादी के झंडे बनाने वाले महिला कर्मचारियों के रोजगार पर संकट उत्पन्न होगा।
सरकार द्वारा बहुत जल्दबाजी में यह निर्णय लिया गया है, जिससे प्लास्टिक के झंडे बनाने वाले कंपनियां के पास पूर्ण रूप से झंडे उपलब्ध नहीं हो पाएंगे। जबकि खादी से बने झंडे पूर्णत उपलब्ध रहते हैं। तो मेरा सवाल भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर है कि जब खादी के झंडे पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकते हैं तो इसे क्यों नहीं आर्डर दिया गया। दूसरी कंपनियों को ऑडर देने के पीछे क्या उद्देश्य है? अब तो स्पष्ट है कि अपने पूंजीपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए आदरणीय हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कटिबद्ध हैं और हर घर तिरंगे के पीछे खादी संस्थाओं पर कुठाराघात की यह रणनीति है।