देश की शान राष्ट्रीय ध्वज "तिरंगे" को प्रारूप देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वैंकेया जी को उनकी जयंती पर विनम्र अभिवादन। सभी भारतीयों की आशाओं एवं आकांक्षाओं के प्रतिरूप, राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक, भारत की विविधता में एकता की भावना के प्रतिबिंब, सम्मानित राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक व महान कृषि वैज्ञानिक श्री पिंगली वैंकेया जी को आज के दिन अभी देशवासी उनके अनुकरणीय योगदान के लिए याद करते हैं।
वर्ष 1916 में माननीय पिंगली वेंकैया जी ने एक ऐसे झंडे की परिकल्पना की, जो सभी देशवासियों को एकसूत्र में पिरोकर चल सके, जिसके प्रतिरूप में समस्त देश की छवि परिभाषित हो सके। उनकी इस पहल को सर्वप्रथम एसबी बोमान और उम्र सोमानी का समर्थन मिला और तीनों ने मिलकर "नेशनल फ्लैग मिशन" का आगाज किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से भी उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को लेकर चर्चा की, जिस पर बापू ने उन्हें ध्वज के मध्य में अशोक चक्र रखने की सलाह दी।
इस प्रकार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई, 1947 को आयोजित हुई भारतीय संविधान सभा की बैठक में स्वीकृति मिली। ऐसे महान देशभक्त और परम स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वैंकेया जी की जयंती पर सादर नमन। भारत की एकता, अखण्डता और संस्कृति को दर्शाती अपनी अनुपम कृति से आपने राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का महान कार्य किया। देशवासियों के दिलों में आप हमेशा अमर रहेंगे।